Friday, September 14, 2007

रामू कि आग - मेरी अग्निपरीक्षा

(स्वयं लिखित)

हम दोस्तो ने एक नयी परम्परा रखी है। जो सिनेमा बडे ज़ोर-शोर के साथ निकलती तो है, मगर बेचारी फूटी किसमत के कारण box office में औंघे मुह गिरती है, उसकी CD घर पर ला कर देखते हैं, और दुनिया से छुप कर 'अपनी भाषा' में उसकी बहुत तारीफ करते हैं। हॉल इसलिये नहीं जाते क्यों कि हम नहीं चाहते कि बाक़ी सज्जन हम पर प्रेम-पुष्प बरसायें। बात पैसों कि तो बिल्कुल नहीं है।

तो ऐसी एक बड़ी से मूवी निकली - आग, रामगोपाल वर्मा कि आग!

में रामू जी का बहुत बड़ा पंखा, मेरा मतलब कद्रदार हूँ। वो गांधीजी के बहुत बडे भक्त मान पड़ते हैं। उनकी हर मूवी में नायिका कम से कम कपडे पहनती है, जैसे उर्मिलाजी, निशाजी, etc etc (बाक़ी मुझे याद नहीं, या फिर वो माधुरी दीक्षित बन गयीं) . गांधीजी मानते थे कि अगर हर भारतीय थोडा सा कपड़ा कम पहने, तो पूरे भारत कि वस्त्र-समस्या हल हो जायेगी। अब रामुजी कि देखा-देखी, हर गली चौराहे में आपको छोटे कपडे दिख जाते हैं। किसमत अच्छी रही तो 'चड्डी का ध्वजरोहन' होता भी दिख जाएगा।

आग शोले कि पुनर्कृति है। पुनर्कृति मतबल नए सिरे से बनाना। तो हम दोस्तो ने इस मूवी को देख कर उस सिरे को ढूँढने कि कोशिश करी।

इस मूवी में राजपाल यादव ने अपनी आवाज़ बहुत सुरीली रखी है। पूरी फिल्म में 'कविता कृष्णामूर्ति' जैसी पतली आवाज़ में बात करते रहे हैं। हम उलझन में पढ़ गए कि कॉमेडी कर रहे हैं या फिर गाने का रियाज़। हाँ, अगर ऐसा ही रहा तो वो कविता जी को गाना गाने में स्पर्द्धा ज़रूर दे देंगे।

बेहराल, उनकी तसल्ली की लिए मैं थोड़ा सा हस दिया - हा।

मूवी का camera work बहुत ही 'Down to Earth' था। 70% समय कैमरा ज़मीन से लगा रहा। Still कैमरा के दिन लद गए और अब flying केमरा आ गया है जो randomly यहाँ वहाँ घूमता रहता है, और रामू ने इसका उपयोग यहाँ किया है। या ये भी हो सकता है कि कैमरा किसी 2 साल के बच्चे के हाथ में था, जो चलना सीख रह था। अगर ऐसा है तो रामूजी के कारण सबसे छोटे cameraman का कीर्तिमान जीत लिया है! मेरा ऐसा बिल्कुल नहीं मानना है कि सिर्फ एक बच्चा ही ऐसी shooting कर सकता है।

निशा कोठारी एक आटो ड्राइवर बनी है। एक वास्तविक ड्राइवर कि तरह, उसने एकदम चुस्त (tight) पेंट, खाखी शर्ट, जिसके सारे बटन खुले हैं, के अन्दर एक लाल चुस्त top पहनी है। उसकी dialogue delivery ने मुझे मेरे school में किये ड्रामे कि याद दिलाई! यार, क्या दिन थे वो!! अब जब भी में school miss करता हूँ, में उसके kuchh सीन फिर से देखता हूँ।

और निशा ने गानों में बहुत अच्छा काम किया है। :-) ... तभी तो वो रामूजी कि प्रिय (कलाकार) है।

मैंने सुना था कि अजय देवगन इस मूवी में है मगर उनकी तरह अभिनय करने वाला कोई भी नहीं दिखा। मुझसे झूठ बोला गया! :-( । काश वो होते तो में उनके काम के बारे में कुछ लिख पाता।

मोहनलाल इस मूवी में बहुत रोये हैं। बहुत सच्चाई से रोये हैं! ख़ून के आसूं रोये हैं!! ऐसा कोई तब ही रोता है जब वो अकेला बहुत अछ्छा काम करे मगर दुसरे उसका साथ नहीं दें।

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