Friday, September 7, 2007

मेरा हीरो घर आया

ये व्यंग्य नवभारत times से लिया गया हैलेखक हैं यज्ञ शर्म -

हीरो घर आया है। बड़ा मार्मिक प्रसंग है। बेचारे को कुछ दिन जेल में रहना पड़ा। बड़े कष्ट भोगे होंगे। समझ में नहीं आता कानून इतने बड़े लोगों के साथ भी ऐसा सलूक क्यों करता है? जब हीरो जेल में था। लोग उसे होने वाली असुविधाओं के बारे सोच-सोच कर दुखी होते थे। विलाप करते थे। हमारे देश में विलाप करने की प्रथा है। राम जब वन गए थे, तब अयोध्यावासियों ने विलाप किया था। हीरो के लिए इतना विलाप हुआ कि सारा वातावरण हीरोमय हो गया। जगह-जगह लोग हीरो के रिहा होने की दुआ कर रहे थे। शायद उन्हीं दुआओं का असर है कि हीरो घर लौट आया है। अगर, आप ध्यान लगा कर सुनें तो आपको वातावरण में एक गीत गूंजता सुनाई देगा- 'मेरा हीरो घर आया, ओ रामजी...।'

यह देश बहुत महान है। यहां बड़े-बड़े महान लोगों के जेल जाने की परंपरा रही है। महात्मा गांधी भी गए थे। क्या कभी किसी ने गांधी के जेल जाने पर विलाप किया था? और, हीरो पर मुकदमा चला, वह हैडलाइन बन गया। जमानत न मिलना हैडलाइन बना। जमानत मिल जाना हैडलाइन बना। जमानत के कागज जेल तक पहुंचाने के लिए हेलिकॉप्टर तैयार रखना हैडलाइन बना। इतने थोड़े समय में इतनी हैडलाइनें तो महात्मा गांधी को भी नहीं मिली होंगी।

हीरो घर के दरवाजे पर पहुंचा, उसका स्वागत ऐसे किया गया, जैसे पहली बार घर आया हो। हीरो अंदर जाने लगा तो किसी ने रोका, 'रुको, रुको! सुअवसर है, मंगल प्रसंग है। प्रवेश अच्छे शगुन के साथ होना चाहिए।' नारियल लाया गया, दरवाजे पर फोड़ा गया, तब हीरो ने घर में प्रवेश किया। बड़ा भावुकतामय वातावरण था। नारियल का दिल भी पसीज गया। फोड़ने पर उसमें से बहुत पानी निकला। किसी ने पूछ लिया, 'अरे नारियल, इतने सुअवसर पर भी तुम रो रहे हो!' नारियल ने बताया, 'ये तो खुशी के आंसू हैं।'

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